कहानी हसीनाबाद उर्फ हुसैनाबाद की….
ये कहानी है गोलमी ‘चिरैया’ के ख्वाब बुनने की और उन ख्वाबों के हकीकत होते देखने की..कहानी दोस्ती की और उस पवित्र जज़्बात पर बदलते समय के साथ हावी होते ईर्ष्या और स्वार्थ की..कहानी निश्छल प्रेम की, जिसमे एक प्रेमी सारी उपेक्षाओं के बावजूद खड़ा रहता है अपने प्रियसी के साथ….कहानी वासना की, जो सिर्फ पूर्ण करना चाहती है अपनी पिपासा….कहानी उस समाज की भी और उन सामाजिक बंधनों की भी जो कई बार प्रेम को उसकी परिणीति तक पहुंचने नहीं देता…कहानी उस माँ की जो बेटी के लिए तो त्याग कर देती है सर्वशः, पर छोड़ देती है अपने बेटे को पीछे, एक निर्मोही की तरह..कहानी एक ऐसे पिता की जो सगा बाप न होकर भी बेटी के ख्वाबों को पंख लगाता है..
कहानी राजनीति की और कुत्सित राजनेताओं की। कहानी मीडिया के सफेदपोश भेड़ियों की जो कई पर अपने व्यक्तिगत हितों को जनता के सामने लोकहित बनाकर पेश करते हैं।
और सब से ऊपर..कहानी तिरहुत की और वहां की खोती लोक कलाओं की..!! क्या बेहतरीन किताब लिखी है गीता श्री जी ने। पढ़ कर मज़ा आ गया!!